Friday, April 18, 2025

मौलाना रफीक के जीवन परिचय पर लिखी गई किताब हयाते रफीक का विमोचन

मौलाना रफीक के जीवन परिचय पर लिखी गई किताब हयाते रफीक का विमोचन 

मुज़फ्फरनगर, (चरथावल) 17 अप्रैल ।

चरथावल क्षेत्र के मशहूर आलिमे दीन, मदरसा काशिफुल उलूम, चरथावल के पूर्व प्रबंधक व मोहतमिम हज़रत मौलाना रफ़ीक़ अहमद रह० के जीवन पर लिखी गई किताब "हयात ए रफ़ीक़" का विमोचन आज मदरसा काशिफुल उलूम में किया गया।
    मदरसा काशिफुल उलूम, चरथावल में मौलाna हबीबुल्लाह मदनी की अध्यक्षता में आयोजित विमोचन समारोह में चरथावल क्षेत्र के नामवर आलिमे दीन, मदरसा काशिफुल उलूम, चरथावल के पूर्व प्रबंधक व मोहतमिम हज़रत मौलाना रफ़ीक़ अहमद के जीवन पर लिखी गई किताब "हयात ए रफ़ीक़" का विमोचन हुआ जिसमें दूर दराज़ से आये आलिम ए दीन, राजनितिक व्यक्तियों, समाज सेवकों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
प्रोग्राम की अध्यक्षता करते हुए  मौलाना हबीबुल्लाह मदनी ने कहा कि अपने बड़ों की सेवाओं को याद रखना और उनको कलमबंद करना बहुत ही क़ाबिले मुबारक क़दम है। ये किताब उनकी जिंदगी और उनकी खिदमात को उजागर करने के लिए कामयाब साबित होगी। उन्होंने इस प्रोग्राम के लिए मौलाना रफ़ीक़ के बेटों को मुबारकबाद दी।
इस अवसर पर मौलाना यामीन ने मुबारक बाद देते हुए कहा कि मौलाना रफ़ीक़ साहब रह० इलाके के अहम शख्सियत थे उन्होंने 40 साल तक मदरसा काशिफुल उलूम चरथावल के मोहतमिम रहकर क़ौम ओ मिल्लत की बेलोस खिदमत की। सैकड़ों उलमा ने उनसे फैज़ हासिल किया जो आज दुनिया के कोने कोने में इल्म की रौशनी को फैला रहे हैं।
मौलाना नज़र मोहम्मद क़ासमी ने कहा कि मौलाना रफ़ीक़ हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक थे। उन्होंने जमीअत उलेमा की बहुत दिनों तक खिदमात अंजाम दी।
सय्यद वजाहत शाह ने कहा कि जिस मेहनत और लग्न के साथ डॉ० नफीस ने अपने वालिद की जिंदगी और खिदमात को इस किताब मे संजोया है वह मुबारकबाद के काबिल है। उन्होंने कहा कि हमारे बड़े-बड़े बुजुर्गगाने दीन उनकी जिंदगियों के ऊपर संक्षिप्त जीवन परिचय शाय होना चाहिए और उनको मदरसों के निसाब में शामिल किया जाना। उन्होंने मौलाना हबीबुल्लाह मदनी से अपील की कि वह इस जानिब तवज्जो दे ताकि हमारे बच्चे अपने बुजुर्गों की कुर्बानियों को याद रख सके।
 इस मौके पर हाफिज मोहम्मद फुरकान असदी ने कहा कि मौलाना रफीक एक ऐसी शख्सियत थे जिनकी कुर्बानी को याद करना बहुत जरूरी है उन्होंने एक लंबे अरसे तक इस इलाके में दीनी और सामाजिक खिदमत को अंजाम दिया उन्होंने बहुत मेहनत से मदरसे को चलाया और पूरे इलाके में हिंदू मुसलमान को एक साथ जोड़ने की भरपूर कोशिश की और साथ ही समाज में  फैल रही बुराइयों को रोकने में भी अपना योगदान दिया।
हयात ए रफ़ीक़ किताब के संयोजनकर्ता मौलाना रफ़ीक़ के बेटे डॉ० नफीस अहमद ने बताया कि  वालिद साहब के इस दुनिया से चले जाने के बाद मेरी ये ख्वाहिश थी कि उनके जीवन संघर्ष, उनकी समाजी और मज़हबी खिदमात पर एक किताब का मंज़रे आम पर आना बहुत ज़रूरी है और इसी परिपेक्ष में यह प्रकाशन किया गया जो आप सभी के सामने है। उन्होंने बताया कि इस किताब के संयोजन में लगभग 2 साल लग गए, काफ़ी दिक़्क़तें भी आईं लेकिन मेरी दर्खास्त पर बहुत लोगों ने मौलाना रफ़ीक़ साहब के बारे में अपने अपने ख़यालात और उनकी खिदमात पर बहुत अच्छे अच्छे लेख लिखे और उनको बेहतरीन अंदाज़ में याद किया। डॉ० नफीस अहमद ने कहा कि इस मौके पर जहाँ बहुत से लोगों ने मेरा साथ दिया वहीं मेरे परिवार और सभी भाइयों ने भरपूर मदद की। मैं आज सभी मौजूद लोगों का शुक्रिया गुज़ार हूँ जो यहाँ तशरीफ़ लाये और इस विमोचन समारोह का हिस्सा बने। 
प्रोग्राम में मुख्य अतिथि मौलाना हबीबुल्लाह मदनी, मौलाना यामीन क़ासमी, मौलाना नज़र मुहम्मद क़ासमी, मौलाना कासिम क़ासमी, सय्यद वजाहत शाह, कलीम त्यागी, इरशाद एडवोकेट, हुसैन अहमद, क़ाज़ी अब्दुस्सलाम, चौधरी इशतियाक़, साद अहमद, मुईनउद्दीन उर्फ़ मलहु, ज़ाकिर प्रधान, डॉ० यासीन, अब्दुल रब, मुहम्मद हारिस, मो० आदिल सैफी, हाफ़िज़ शफ़ीक़ अहमद, डॉ० शकील अहमद, डॉ० मेराज, क़ारी खालिद, मास्टर रियासत, हाफ़िज़ फुरक़ान असअदी, इस्लामुद्दीन चेयरमैन, चो० हाशिम, अबुल कलाम कलीम, मास्टर खलील अहमद, मौलाना हामिद, हाफ़िज़ रफ़ीक़ कुरैशी के अलावा सैकड़ो गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।