Sunday, August 11, 2024

राजनीति एक व्यवस्था है।


रामरतन सिंह विश्वकर्मा की कलम से
(राष्ट्रीय अध्यक्ष) राष्ट्रीय नवप्रभात पार्टी 

*जो संम्पन्न हैं उन्हें आवश्यकता नहीं,जो मध्यम हैं उनके पास समय नहीं,और संम्पन्न नहीं वो कुछ कर सकते नहीं, राजनीति क्या है, इसकी जरूरत हर सम्पन्न,मध्यम,निम्न को क्यों.? राजनीति एक व्यवस्था है जिससे हर व्यक्ति के हित जुड़े हैं,हर कोई इस व्यवस्था से प्रभावित होता है,इस व्यवस्था में भागीदार हुए बिना हितों और अधिकार का संरक्षण नहीं किया जा सकता,जो भागीदार होते हैं वो दूसरों के हित प्रभावित करते हैं,और प्रभावित व्यक्ति समाज अपने मूल विकास से पीछे छूट जाता है,लोकतंत्र में संख्याबल महत्व पूर्ण होता है,और इस संख्या बल को समाज का शिक्षित और सम्पन्न वर्ग ही संगठित कर सकता है,,लेकिन दुर्भाग्य से वो स्व स्वार्थ एवं अहं वश इसे करना नहीं चाहता,और ऐसा कोई भी समाज स्टेप बाई स्टेप अपने मूल विकास से पीछे छूटता चला जाता है,,फिर वो समाज समाज नहीं व्यवस्था की नजरों में एक समूह से ज्यादा कुछ नहीं होता,और उसे दूसरे ज्ञानी समझदार लोग साथ लगाकर बहका कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहते हैं,हित एवं अधिकार संरक्षित रहे,इस लिये राजनिती और राजनैतिक व्यवस्था में भागीदारी जरूरी होती है,संम्पन्न,शिक्षित व्यक्ति ये जानता है,लेकिन जानकर भी अपने अहं वश ये भूल जाता है कि अगर वो अपने इस निम्न अल्प साधन,या साधन विहीन समाज को साथ लेकर चले तो उसकी स्वयं की ताकत आसमान छूती है और उसके साथ उसका पूरा समाज लाभान्वित होकर विकास की ओर चल पड़ता है,और सर्व समाज में अपनी हैसियत को सम्मानित स्थान पर प्राप्त करता है।