हर सनातनी परिवार में हो रामायण का पाठ :डा अनुज
शाहपुर। हिंदू समाज में पवित्र धार्मिक महाकाव्य ग्रन्थ रामायण के रचयिता भगवान महर्षि वाल्मीकि प्रकट उत्सव कस्बे के वाल्मीकि समाज के लोगों ने बड़ी धूमधाम से मनाया जिसमें कस्बे के गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी गरिमा में उपस्थिति दर्ज कराते हुए धर्म लाभ उठाया। रविवार रात महर्षि वाल्मीकि प्रकट उत्सव पर वाल्मिक समाज के लोगों ने महर्षि वाल्मीकि आश्रम प्रांगण में जागरण का आयोजन कर धूमधाम से मनाया किया। मंदिर प्रांगण को फूल माला उसे सजा कर सुसज्जित किया गया आयोजन का शुभारंभ विधि विधान के साथ मंदिर के महंत राजेश गिरी नागा नें पूजा अर्चना कर कराया। जागरण में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता श्याम पाल भाई जी, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष राजेश संगल, भाजपा नेता मणिकांत मित्तल नामदेव समाज के अध्यक्ष सोनू नामदेव आदि ने जागरण का शुभारंभ संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। मंदिर कमेटी तथा समाज की ओर से सभी अतिथियों को पगड़ी व पटका पहनकर सम्मानित किया गया। जागरण का शुभारंभ प्रसिद्ध भजन गायक सुनील कुमार लख्खा ने वाल्मीकि भगवान की स्तुति करते हुए प्रारंभ किया। धार्मिक भजन गायक सन्नी धवन ने भजनों का ऐसा समा बाधा के भक्तगण गण झुमने पर मजबूर हो गये। कुमार विशाल, सुनील सिल्क व अन्य भजन गायको ने महर्षि वाल्मीकि का गुणगान किया। जागरण में धार्मिक झांकियां आकर्षण का केंद्र रही। इस दौरान मुख्य अतिथि वरिष्ठ भाजपा नेता श्यामपाल भाई जी ने महर्षि वाल्मीकि जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि भगवान त्रिकालदर्शी ऋषि थे। उन्होंने अयोध्या में राजा दशरथ के घर माता कौशल्या की कोख से अवतार लेने से पहले ही वाल्मीकि रामायण की रचना की थी। इस बीच सभी से उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। माता सीता को अपने वन आश्रम में शरण देकर लव-कुश को जन्म से अपने साथ रखा। उन्हें ज्ञान के साथ- साथ अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दीक्षा दी और उन्हें अजेय धनुर्धारी बनाया। पुर्व चेयरमैन राजेश सिंघल ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर सृष्टि रचियता भगवान वाल्मीकि कमल पुष्प पर प्रकट हुए थे। पावन ग्रंथ रामायण की रचना किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं बल्कि, समस्त मानव कल्याण के लिए की थी। भगवान वाल्मीकि विश्व संस्कृति के पितामह हैं। प्रत्येक धर्म, जाति व समुदाय के लोगों को भगवान वाल्मीकि में श्रद्धा एवं आस्था रखनी चाहिए।आज शोभा यात्रा का फीता काटकर उदघाटन करते हुए प्रमुख समाजसेवी उमेश मित्तल वा वरिष्ठ पत्रकार डा अनुज अग्रवाल ने किया।तथा महर्षि वाल्मीकि के रथ प्रज्वलित भाजपा नेत्री डॉक्टर कविता सैनी ने किया। उमेश मितल ने कहा कि भगवान वाल्मीकि को “महर्षि” और “आदि कवि” नामक उपाधियों से भी सम्मानित किया गया है, जहां ‘महर्षि’ का अर्थ ‘महान संत’ या ‘महान ऋषि’ है, और ‘आदि कवि’ का अर्थ है ‘प्रथम कवि’। यह वही है जिन्होने हमें संस्कृत के पहले छन्द या श्लोक के बारें मे बताया। यह हमारे हिन्दू महाकाव्य के महान पवित्र पुस्तक “रामायण” के लेखक है।मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार डा अनुज अग्रवाल ने कहा कि यदि महर्षि वाल्मीकि रामायण के रचना ना करते तो आज सनातन धर्मावलंबीओ को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जीवनी पढ़ने को ना मिलती और न हीं एक मर्यादा में रहने वाले पुरुष के आचरण के बारे में जानकारी ना होती उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का वह घर अधूरा है जिस घर में पवित्र ग्रंथ रामायण नहीं है और यदि है तो उसमें प्रतिदिन रामायण का पाठ होना चाहिए। वक्ताओं के विचार सुनकर महर्षि वाल्मीकि समाज व उपस्थित सभी लोग गदगद हो गए। जागरण के दौरान वाल्मिक समाज के महिलाओ व पुरुष समेत हिंदू समाज के भक्तगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।