शरीर में रोग केवल मलों के कारण आते हैं। शरीर में जमा विजातीय तत्वों के कारण शरीर के अंदर निष्क्रियता, स्टीफनेस और जोड़ों का तथा नस नाड़ियों का जाम होना, शरीर में दर्द रहना आदि मुख्य लक्षण है। जिनको दूर करने का एकमात्र साधन शुद्धि क्रियाएं है। उक्त विचार योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने ग्रीनलैंड मॉडर्न जूनियर हाई स्कूल मुजफ्फरनगर योग केंद्र पर दिए। उन्होंने बताया कि शुद्ध क्रियाएं षटकर्म के अंतर्गत आती हैं। धोती, बस्ती, नेति, नौली, त्राटक तथा कपालभाति षटकर्म के अंतर्गत आती हैं। आज साधक और साधिकाओ को कुंजल क्रिया तथा नेति क्रिया करवाई गई । शुद्धि क्रियाओं के अभ्यास से शरीर के अंदर जमा विजातीय तत्वों का शमन होता है। शरीर स्वस्थ तथा निरोगी बनता है। आंख ,नाक, कान तथा गले संबंधित रोग ठीक होते हैं। नाक का मांस बढ़ना ,हड्डी बढ़ना, साइनस आदि रोग दूर करने का सर्वोत्तम उपाय शुद्धि क्रिया है। कुंजल क्रिया से वात, पित्त, कफ तीनों दोष शान्त होतें है। जिससे शरीर रोग मुक्त होता है । इस अवसर पर हर्षवर्धन सिंह, अनंत कुमार ,तुष्य भूषण शर्मा, डा0 अक्षय बालियान,अशोक कुमार मित्तल, दीपा चौधरी, संगीता जैन, राखी,आदि ने कुंजल क्रिया, रबर नेति, सूत्र नेति तथा जल नेति क्रिया की। इस अवसर पर अरुण शर्मा एड0, अशोक शर्मा एड0, रामबीर सिंह, यज्ञ दत्त आर्य, राजसिंह पुन्डीर, राजीव रघुवंशी, नीरज बंसल, रजनी मलिक, सीमा सिंह आदि साधक एवं साधिकाएं उपस्थित रहे।