भारतीय योग संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्ष 30 जुलाई को श्रद्धेय स्वर्गीय प्रकाशलाल जी के स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी क्रम में भारतीय योग संस्थान के निशुल्क योग साधना केंद्र ग्रीनलैंड मॉडर्न जूनियर हाई स्कूल मुजफ्फरनगर पर योग कक्षा को श्रद्धेय स्वर्गीय प्रकाशलाल जी के स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया। सर्वप्रथम योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने ओम ध्वनि और गायत्री मंत्र से योग साधना प्रारंभ करवाई । प्राणायाम अनुलोम विलोम कपालभाति और भ्रामरी जिला प्रधान राज सिंह पुंडीर ने करवाएं।
योगाभ्यास के उपरान्त चर्चा के दौरान भारतीय योग संस्थान के संस्थापक श्रद्धेय स्वर्गीय प्रकाशलाल जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 30 जुलाई को भारतीय योग संस्थान के संस्थापक श्रद्धेय स्वर्गीय प्रकाशलाल के स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। ग्रहस्थ में रहकर सन्यासी बनना अगर किसी ने हमें सिखाया है तो वह माननीय प्रकाशलाल जी थे। उनका जन्म 1 मार्च 1921 को सर्गोधा (पाकिस्तान) में हुआ था। उनकी माता का नाम रामबाई और पिता का नाम ज्वालादास था। 6 माह की उम्र में पिता का साया सर से उठ गया। 16 वर्ष की आयु में बैंक में नौकरी करते हुए 26 वर्ष की आयु में उनकी शादी सुश्री कृष्णा जी से हुई। योग के अपने सपने को साकार करते हुए 10 अप्रैल 1967 को दिल्ली विश्वविद्यालय के पास चाबुर्जा पहाडी के ऊपर योग कक्षा के रुप में एक पौधा लगाया, इस योग कक्षा में केवल एक साधक, एक शिक्षक और एक हाथ जोड़कर दूसरों को बुलाने वाला कुल तीन व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय योग संस्थान के प्रथम केन्द्र की स्थापना की। आज भारतीय योग संस्थान का यह पौधा वट-वृक्ष का रुप ले चुका है इसकी लगभग 4000 से अधिक शाखाएं भारत वर्ष में तथा सैकड़ो से ऊपर विदेशो में फैली हुई है जो निशुल्क तथा 365 दिन संचालित होती है।संस्थान में कोई छोटा बडा नही है प्रत्येक व्यक्ति साधक है। गुरु शिष्य की व्यवस्था भी नही अपनाई गई, न ही जाति और धर्म की बात उठाई जाती है।
प्रकाशलाल जी ने *सर्वेभवन्तु सुखिन: तथा वसुधैव कुटुम्बकम* को संस्थान का आदर्श बनाया। प्रकाशलाल भारतीय योगाश्रम को महिला साधको का *मायका* मानते थे, पूज्य मातृशक्ति कहकर अपनी बात शुरु करते थे और यह नारी जाति के लिए उनका सम्मान था।
केंद्र प्रमुख को वह संस्थान की रीढ मानते थे। निष्काम सेवा की भावना उन्होने साधको को दी। *जीओ और जीवन दो* के आधार पर जीने की प्रेरणा दी।
जिला प्रधान राजसिंह पुन्डीर ने उनका अंतिम सन्देश सुनाया-
**संस्थान ऐसे कार्यकर्ताओं का निर्माण करना चाहता है जो लेटे हुए को बैठा दे, बैठे हुए को खडा कर दे और खडे हुए को दौडा दे अर्थात दूसरे का प्रेरणा स्रोत बन जाए।*
उनके इन सिद्धांतो को अपनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर योग शिक्षिका बेबी सैनी तथा साधक अक्षय जैन ने भजन प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से क्षेत्रीय प्रधान राजीव रघुवंशी ,आचार्य रामकिशन सुमन ,डॉक्टर अक्षय कुमार बालियान ,डॉक्टर रामवीर सिंह बालियान, हिमांशु ,रजनी मलिक ,रितु मलिक ,अपर्णा, संगीता जैन ,बेबी सैनी सोनिया नारंग आदि का विशेष सहयोग रहा। अन्त में प्रार्थना और शान्तिपाठ के उपरान्त स्मृति दिवस के समापन की घोषणा की गई ।