मुजफ्फरनगर, जेएनएन। आला पुलिस-प्रशासनिक अफसरों को जिले में अप्रिय घटना का अंदेशा पूरा था, मगर इंतजाम अधूरे रह गए। कई दिनों से सायरन बजाती घूम रहीं गाड़ियां और चौराहों पर कदमताल करती पुलिस शुक्रवार को उन्मादी भीड़ के सामने कागजी साबित हुई। जुमे की नमाज के बाद भीड़ जुटी तो पत्थरबाजी होने से भगदड़ मच गई। पहले पुलिस फोर्स ने भीड़ को दौड़ा लिया और उन्हें दूर तक खदेड़ दिया। इसके बाद इकट्ठा हुई भीड़ के आगे पुलिस नतमस्तक हो गई। सुबह ही क्षेत्रों में मजिस्ट्रेटों की ड्यूटी लगाई गई, लेकिन अधिकारी भीड़ को रोकने में नाकाम रहे। सरकारी तंत्र माहौल को नहीं समझ पाया, जिस कारण हालात बिगड़ना शुरू हुए।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को लेकर पुलिस-प्रशासन चौकन्ना था, लेकिन उसके बाद भी व्यवस्थाओं को पूरी तरह मुक्कमल नहीं किया गया। एहतियातन और भीड को क्षेत्र में रोकने की पॉलिसी विफल साबित हुई। प्रशासन ने जिले के तमाम अधिकारियों की सेक्टर मजिस्ट्रेट के रूप में ड्यूटी लगाई। समकक्ष पुलिस अफसर को साथ लगाया गया। बावजूद इसके यह अधिकारी माहौल भांपने में चूक कर गए। इस भीड़ का पहले से कोई कार्यक्रम तय नहीं था, उसके बाद भी इसे रोका नहीं गया। विरोध जताने मीनाक्षी चौक पर बढ़ रही भीड़ ने पत्थरबाजी की। उसे नियंत्रण कर फिर से इकट्ठा होने का मौका दिया गया। मीनाक्षी चौक को भीड़ ने अपना पिक-अप प्वाइंट बनाया। यहां कच्ची सड़क, मदनी चौक, सूजडू, खालापार, लद्दावाला के साथ शहरभर से भीड़ एकत्र हो गई। दोपहर तक माहौल शांत रहा है, उसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई। हाथों मे तख्तियां लेकर आए युवा और बच्चों ने मौका पाते ही पत्थर उठा लिए और बरसाना शुरू कर दिया। सबकुछ इतनी जल्दी हुआ कि पुलिस-प्रशासन को संभलने का मौका तक नहीं मिल सका। लगभग डेढ़ घंटे तक उन्मादी भीड़ ने मीनाक्षी चौक और आर्य समाज रोड के साथ आधे शहर पर कब्जा किए रखा। भीड़ जिधर को दौड़ती गई, वहीं दहशत पसर गई। मुहं पर रूमाल बांधे और टूट पड़ी भीड़ पुलिस भले ही अधूरे इंतजाम से खड़ी थी, लेकिन भीड़ साजो-सामान के साथ पहुंची थी। नारेबाजी खत्म होते-होते उपद्रवियों ने चेहरों पर रूमाल बांध लिया। इसके बाद तेजी के साथ पुलिस के वाहनों का निशाना बनाया। मीनाक्षी चौक पर एकमात्र पुलिस का वाहन था, जिनमें इक्का-दुक्का पुलिस के जवान सवार थे। इस्लामिया इंटर कॉलेज से भीड़ को वापस करते समय पर्याप्त संसाधन नहीं अपनाए गए। पुलिस को खाली हाथ देखकर उन्मादियों का मनोबल बढ़ा और हालात बेकाबू होते चले गए।